एक दोस्त से बड़कर और माता पिता के समान कोई रिश्ता है?
शायद लोग उसे प्रेम का नाम दें...
पर हम दो प्रेमियों के प्रेम की नहीं उन संबंधों के प्रेम की बात कर रहे हैं...
जो आंखों में चमक ला देतें हैं,
बातों से खनक खनका देते हैं।
अपने जाने से मन में हलचल मचा देते हैं,
आंखों से गिरे पानी को मोति बना देते हैं।
और क्या कहूं उनके बारे में ...
जो नाम से बड़कर हैं
जो करुना और विश्वास पे टिके हैं,
जो प्रोत्साहन और निडरता पे चलते हैं।
मेरे वोह रिश्ते लफ्जों में बयां नहीं हो सकते ...
वोह ज़िन्दगी को हर वक्त एक नया नाम देते हैं,
अपनी आहट से हर चेहरे को खिला देते हैं।
क्या बात है उनमें की...
बिना दस्तक के वोह मन में एक अनोखी तस्वीर लगा देते हैं,
यह दिल के रिश्ते ज़िन्दगी को एक खुबसूरत किताब बना देते हैं।
3 comments:
Admiration is our polite recognition of another`s resemblance to ourself!!!
It's very good. Actually , you should be joining Sophia College as a faculty , not as a student !!!
Indeed , its very good .
KEEP IT UP !
thankyou bhabhi . bus admission hojaye phir padha bhi denge. he he :)
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