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Wednesday, April 17, 2013

सुबह 


सुबह की कड़कती धुप में 
हर रफ़्तार हर रूप में 
चेहरा कुछ कहता हुआ दीखता है।

कोई नार्थ जाता है तो कोई साउथ 
कुछ चपर -चपर करतें हैं 
तो कुछ बैठे हैं विथ अ शट माउथ 
पर हर चेहरा कुछ कहता हुआ दीखता है 

कान बंद हैं हेलमेट से, स्कार्फ से, या फिर इअर प्लग से 
पर कार के, स्कूटर के और बस के हॉर्न से खूब बातें करते हैं 
मुझे पहले जाना है. थोडा साइड दो, अबे खिसक ऐसा बोलते है 

इस  भीड़ में और फुल स्पीड में 
हर चेहरा कुछ कहता हुआ दीखता है 


Saturday, October 30, 2010

ऐसा मैंने साईनाथ से जाना है.

जिज्ञासा जीवन की पूँजी है
अज्ञानता से ज्ञान तक की टोर्च है.
चीज़ें उतनी उलझी हुई नहीं, जितनी लगती हैं
और उतनी असंभव भी नहीं होती हैं.
कमी होती है तो चेतना में, या फिर कर गुज़रने के समर्पण में.
कब तक कोई हमें बताये की क्या करना है,
न कर पाए, गलत हुआ ऐसा सोच कर क्यों डरना है.
ज़िन्दगी को जिज्ञासा का नाम दो,
आगे बड़ो , गिरो , फिर उठो , सीखो और कोशिश करो.
ऐसा साईनाथ ने सिर्फ कह के  नहीं बताया है
अपने कर्म से हमें कर के सिखाया है.
मायूसी छोटी हो या बड़ी हो
तुम प्रेरणा लो और एक सवाल करो 
कि ऐसा क्यों है ...देखो चीज़ें बदलेंगी
थोड़ी ही सही,  छोटी ही सही,  कहीं शुरआत होगी
बंद लफ्ज़ों में ही सही तुम्हारी बात होगी.

याद रखो जिज्ञासा जीवन की पूँजी है.





Thursday, July 29, 2010

कम से कम इतना करें

कर सकते हैं ज़िन्दगी में कुछ काम
तो कुछ ऐसा करें
की अपने सपने सजाते हुए एक ज़रुरत मंद का सपना सजाया जाए.
छु सकते हैं अगर आसमान
तो कुछ ऐसे छुएं
की ऊँचाइयों पे अपनों के दर्द को भूलाया ना जाए.
बन सकते हैं अगर बड़ा
तो इतना बड़ा बनें
की सब के सुख और दुःख का हिसाब रखा जाए.
और अगर ये सब न कर सकें
तो कम से कम इतना करें
की अपने आप और अपने कर्मों की जिमेदारी उठाई जाए .
कम से कम इतना करें
की आने वाली नस्लों के लिए एक अमन की दुनिया बसाई जाए.
और
इस जहाँ को आज की चका चोंध के लिए कुर्बान न किया जाये, कुर्बान न किया जाये, न किया जाए.

Sunday, June 21, 2009

ये दिल के रिश्ते .

एक दोस्त से बड़कर और माता पिता के समान कोई रिश्ता है?
शायद लोग उसे प्रेम का नाम दें...
पर हम दो प्रेमियों के प्रेम की नहीं उन संबंधों के प्रेम की बात कर रहे हैं...
जो आंखों में चमक ला देतें हैं,
बातों से खनक खनका देते हैं।
अपने जाने से मन में हलचल मचा देते हैं,
आंखों से गिरे पानी को मोति बना देते हैं।
और क्या कहूं उनके बारे में ...
जो नाम से बड़कर हैं
जो करुना और विश्वास पे टिके हैं,
जो प्रोत्साहन और निडरता पे चलते हैं।
मेरे वोह रिश्ते लफ्जों में बयां नहीं हो सकते ...
वोह ज़िन्दगी को हर वक्त एक नया नाम देते हैं,
अपनी आहट से हर चेहरे को खिला देते हैं।
क्या बात है उनमें की...
बिना दस्तक के वोह मन में एक अनोखी तस्वीर लगा देते हैं,
यह दिल के रिश्ते ज़िन्दगी को एक खुबसूरत किताब बना देते हैं।

Tuesday, May 26, 2009

शिर्डी के साईं कब अपनी करुना बरसाएंगे ?

देख तुने भगवानकी हालत क्या कर दी इंसान कितना बदल दिया भगवन।

जकड दिया है सोने के मुक्टों और सिन्हहासन से,

बाँध दिया है पत्थर की ऊँची दीवारों में।

जो मदमस्त घूमता, मिलता था अपने भक्तों से,

आज उन्हें देखता है लम्बी कतारों में।

शिर्डी जो कभी शांत गाँव कहलाता था ,

आज बदल गया है साईं के बाजारों में।

विनती है उन साईं के उदार भक्तों से,

अपनी पूँजी से ज़रूरत मंदों का कल्याण करें।

साईं को मन से न की धन से अपना बनाने का प्रयास करें।

जब साईं सोने , चांदी के बंधन से मुक्त हो जायेंगे ,

देखो वो तुम्हारे ऊपर दुगनी करुना बरसाएंगे,

और साईं के जन साधारण भगत भी तुम्हें आर्शीवाद देके जायेंगे।

शिर्डी के साईं तब अपनी करुना बरसाएंगे।

Monday, April 27, 2009

कल फिर आना .

मेरी खिड़की की जाली से एक अधभुत नज़्ज़ारा दीखता है,
एक कबूतर का जोड़ा चौंच लड़ा प्यार करता है।
अधुबुत ये है की एक कबूतर सफ़ेद है और एक काला है,
और सामने वाली छत पर जब मौका मिलता है आ जाता है।
मग्न अपनी चाहत में वह यह भूल जाता है,
की एक सफ़ेद और एक काला दिखलाता है।
काश हम भी उनकी तरह अपने भेदों को भूल पाते,
प्रेम को सुर्वोपरी कर संग खिलखिलाते।
मैं सोचती हूँ ये जहाँ और खुबसूरत बन जाता ,
अगर हर इंसान इन आजाद पंछियों का मकसद समझ पता।
कल सुबह मैंने इन से एक गुजारिश की थी ,
की तुम कल फिर आना अपने प्यार का संदेसा फिर लाना।
और लो ये आज फिर आए हैं अपने प्रेम का संदेसा फिर लाये हैं।
बस अपनी गुटरगूं में इतना समझाते हैं...
हमें देख सिर्फ़ खुश मत होजाना ,
तुम फी प्रेम वाहक बन ये संदेसा सबतक पौहंचाना ,
कल फिर आना ,कल फिर आना।

Monday, September 15, 2008

एक टूटी हुई खूबसूरत तस्वीर हूँ

कहते हैं की खुदा ने मुझे बड़ी फुर्सत में बनाया है,


मेरे हर अंग को उसने अपने हाथों से तराशा है।


दुनिया मेरी खूबसूरती की उपमाएं देती है,


मेरे हुस्न पर ताकतें लड़ उठती हैं।


पर मुझे मेरे अपनों ने लूट लिया है,


मुझे छलनी कर तनहा छोड़ दिया है।


मेरे आँसू , मेरे दर्द को कोई समझता नही है,


मेरी गमगीन हालत पर कोई तरस नहीं खता।


हर रोज़ मेरी नुमाइश होती है,


पर कोई खरीदार नहीं आता।


प्यार का वादा सब करते हैं लेकिन,


उसे निभा कोई नहीं पाता

मैं दुसरो के लिए ख्वाइश हूँ, जनत हूँ,


अपनों के लिए गर्त हूँ।


सालों से लड़ रहीं हूँ अपनी खुशी के लिए,


पर अब टूट चुकी हूँ।


इंतज़ार है ऐसे रकीब का , जो अपना बना ले , गले से लगा ले।


मैं इंतजार में हूँ...


मैं एक टूटी हुई खूबसूरत तस्वीर हूँ,


मैं काशमीर हूँ।

Wednesday, June 4, 2008

बारिश


क्या चीज़ है ये बारिश ?
रंगों के साथ चेहरों को खिलाती है,
मिटटी की सौंधी खुशबू उडाती है।
सहमी सी लड़की छत्री के संग अपना चश्मा संभालती है,
दादाजी की उंगलियाँ नन्हें पोते के हाथों को थामती हैं।
यौवन को महसूस करती दो सहेलियां बात कर खिलखिलाती हैं,
बूढी आंखों में बीती यादें फिर ताज़ा हो जाती हैं।
आस्मान में दो चिदियाँ दौड़ लगाती हैं ,
घर पर माँ चाय और पकौड़ों से टेबल सजाती है।
अपने आप को हीरो मान चुका लड़का मोटरसाईकिल दौडाता है,
हर पेड़ अपनी हरयाली पर गर्व कर झुकजाता है।
प्रेमिका अपने प्रेमी के कान में कुछ खुस्फुसाती है,
और फिर प्रेमी अपने प्यार को गाके बताता है।
हर शख्स इन बूंदों में एक नया सपना सजाता है।
क्या चीज़ है ये बारिश?
मेरी आंखों में आज हर चीज़ ख़ूबसूरत नज़र आती है,
और मुझे भी किसी अपने किसी ख़ास की याद दिलाती है।

Sunday, May 25, 2008

Dost

अनजाने से जानने का रास्ता तय किया है हमने,
आंखों से दिल तक का फासला तय किया है हमने।
तुझे मिले ज़्यादा वक्त नही गुज़रा है,
तेरी बातों, हँसी , गम को थोड़ा थोड़ा समझ लिया है हमने।
तुझे दोस्त तो नही कहा है अबतक,
पर तेरी दोस्ती का अस्सर महसूस किया है हमने।
तेरे और मेरे साथ का वक्त तय नहीं है, फिर भी,
इस दोस्ती के अनुभव और ताज़गी को साथ लेकर चलूं ज़िंदगी में
आज ऐसा फ़ैसला किया है हमने।

Saturday, May 17, 2008

Maa

तेरी आखों में सिर्फ़ प्यार देखा है,

तेरे हाथों से सिर्फ़ दुलार देखा है,

मेरे जाने के गम में उन नम आंखों को पोंछते बार बार देखा है।

मेरी खुशी में तेरी आंखों को चमचमाते देखा है,

मेरे गम में उन लम्बी रातों में मुझे सहलाते देखा है,

माँ मैंने तुझमें खुदा के साथ दोनों जहाँ को देखा है।