Thursday, July 29, 2010

कम से कम इतना करें

कर सकते हैं ज़िन्दगी में कुछ काम
तो कुछ ऐसा करें
की अपने सपने सजाते हुए एक ज़रुरत मंद का सपना सजाया जाए.
छु सकते हैं अगर आसमान
तो कुछ ऐसे छुएं
की ऊँचाइयों पे अपनों के दर्द को भूलाया ना जाए.
बन सकते हैं अगर बड़ा
तो इतना बड़ा बनें
की सब के सुख और दुःख का हिसाब रखा जाए.
और अगर ये सब न कर सकें
तो कम से कम इतना करें
की अपने आप और अपने कर्मों की जिमेदारी उठाई जाए .
कम से कम इतना करें
की आने वाली नस्लों के लिए एक अमन की दुनिया बसाई जाए.
और
इस जहाँ को आज की चका चोंध के लिए कुर्बान न किया जाये, कुर्बान न किया जाये, न किया जाए.

1 comment:

Anonymous said...

कर्मों की ज़िम्मेदारी --- as good as गीता ग्यान!!!
hope it inspires atleast one `arjun`!!!
keep it up!!!