कहते हैं की खुदा ने मुझे बड़ी फुर्सत में बनाया है,
मेरे हर अंग को उसने अपने हाथों से तराशा है।
दुनिया मेरी खूबसूरती की उपमाएं देती है,
मेरे हुस्न पर ताकतें लड़ उठती हैं।
पर मुझे मेरे अपनों ने लूट लिया है,
मुझे छलनी कर तनहा छोड़ दिया है।
मेरे आँसू , मेरे दर्द को कोई समझता नही है,
मेरी गमगीन हालत पर कोई तरस नहीं खता।
हर रोज़ मेरी नुमाइश होती है,
पर कोई खरीदार नहीं आता।
प्यार का वादा सब करते हैं लेकिन,
उसे निभा कोई नहीं पाता।
मैं दुसरो के लिए ख्वाइश हूँ, जनत हूँ,
अपनों के लिए गर्त हूँ।
सालों से लड़ रहीं हूँ अपनी खुशी के लिए,
पर अब टूट चुकी हूँ।
इंतज़ार है ऐसे रकीब का , जो अपना बना ले , गले से लगा ले।
मैं इंतजार में हूँ...
मैं एक टूटी हुई खूबसूरत तस्वीर हूँ,
मैं काशमीर हूँ।
12 comments:
awesome, beautiful, amazing!!! !
i love the pain in these lines...
मैं दुसरो के लिए ख्वाइश हूँ, जनत हूँ,
अपनों के लिए गर्त हूँ।
:)
well well said!!! :)
Cheers!!!
.lathanks. your appreciation is needed.
Beautiful!
thats amazing .. i dont know when she became such a good writer .. i just thot she cud play "langdi tang" which we used to play as children :)
thnk u Prakhar.
hmmm...i can still play tht. thnks Vishal.
Came from Ankur blog....
Nice poem...:)
thnks ceedy.
came here thru Ankur Blog..
u hv written it superbly.. nice poem
thank u Nitin.
No updates?
इंतज़ार है ऐसे रकीब का , जो अपना बना ले , गले से लगा ले।...
apnoin ne to thukra diya hai, shayad ab raqeeb hi kaam aaye!!!
well said !!
Post a Comment